सब कुछ मुझमें है और हर किसी में मैं बसता हु, हर क्रिया के पीछे मैं ही हूं,यही वाक्य हैं भगवान कृष्ण के।  ऐसा लगता है कि कलाकार राखी एस बैद ने इस कृष्णांश को अपने जीवन और कार्यों में आत्मसात कर लिया है।

यह वह अंश है जिसने शायद राखी में ओडिशा के ग्रामीण आदिवासी गांव लांजीबेर्ना से मुंबई के जादुई शहर में जाने के लिए रचनात्मकता को जन्म दिया।  कृष्ण के साथ संबंध के रूप में जो शुरू हुआ, जैसे कैनवास पर नीला रंग, कान्हा का रंग, अनंत काल का, गहरे अंतरिक्ष का, महासागरों और आकाश का, रंगों की उनकी कविता, उनकी तीर्थयात्रा, उनके साथ उनका भावनात्मक जुड़ाव बन गया।

आज, दुनिया भर में राखी ने और एकल और सामूहिक तौर पर 62 से अधिक नायब शो किये हैं और अब उतनी ही भक्ति और जूनिनियत की अभिव्यक्ति के साथ आ रही हैं  एक श्रृंखला लेकर जिसका नाम हैं  – कृष्णांश – एक ऐसा संग्रह जो अपनी खुद की एक लय प्रतीत होती है।

हाल ही में नेहरू सेंटर आर्ट गैलरी में उनकी प्रदर्शनी में अनुभवी संगीतकार जीतू शंकर, पार्श्व गायिका मधुश्री, मिस इंडिया टूरिज्म रूपाली सूरी, अतिका फारूकी, बिमला राजू सेखानी, सुमन बचावत, सुनीता परमार, अनुभवी कला समीक्षक मनमोहन सरल और पृथ्वी सोनी, विश्व साहनी, सुरेश नायर, सोनू गुप्ता सहित कई अन्य

अनुभवी कलाकारों ने भाग लिया।

राखी एस बैद का कृष्णांश 10 अक्टूबर तक नेहरू सेंटर एसी गैलरी, वर्ली में होनेवाला हैं।

भक्ति और जूनिनियत की अभिव्यक्ति को अपने पेंटिंग के जरिये दुनिया को कृष्ण की लीला में सराबोर करने आ रही हैं कलाकर राखी. एस. बैद! कृष्णांश संग्रह के जरिए देखी जाएंगी अद्भुत पेंटिंग!